Mutual Fund: बाजार में भारी उतार-चढ़ाव के बीच क्या हो रणनीति? MF इनवेस्टर्स को एक्सपर्ट्स की ये है सलाह – mutual fund investors stock markets turn volatile what should do systematic investment plan sip

Mutual Fund: 2024 के बाद शेयर बाजार में नए साल 2025 में भी गिरावट जारी है। ऐसे में म्यूचुअल फंड (MF) इनवेस्टर्स के मन में यह सवाह है कि उन्हें अपना निवेश जारी रखना चाहिए या नहीं। एक्सपर्ट्स की मानें तो वे MF इनवेस्टर्स को सावधानी बरतने और बड़े निवेश से बचने की सलाह दे रहे हैं। बता दें कि निफ्टी 50 में 2025 में 13 जनवरी तक 2.4 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। इसी अवधि के दौरान निफ्टी 500 में 5.05 फीसदी की गिरावट आई है। इसके अलावा, निफ्टी मिडकैप 150 में 8 फीसदी और निफ्टी स्मॉलकैप 250 में 9 फीसदी की गिरावट आई है।

एक्सपर्ट्स के अनुसार, भारतीय इक्विटी मार्केट में मौजूदा गिरावट के लिए कई फैक्टर्स को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जैसे महंगे वैल्यूएशन, घरेलू विकास दर में कमी, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की सीमित दर कटौती चक्र और अमेरिकी डॉलर की मजबूती।

बाजार में उतार-चढ़ाव पर एक्सपर्ट्स की राय

स्टेटलेन के फाउंडर कुणाल वालिया ने कहा, “भारत के लिए एक प्रमुख चिंता फेडरल रिजर्व के सीमित दर कटौती चक्र का प्रभाव है। भले ही घरेलू महंगाई दर 4 फीसदी के आसपास स्थिर हो जाए, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आक्रामक रूप से दरों में कटौती नहीं कर सकेगा, क्योंकि इससे रुपये में और गिरावट की संभावना हो सकती है। ऐसी स्थिति में RBI को रुपये की मजबूती के लिए अधिक आक्रामक कदम उठाने पड़ सकते हैं, जिससे फॉरेक्स रिजर्व में कमी आ सकती है। उनका मानना ​​है कि निवेशकों को सतर्क रहना और बदलते बाजार के अनुसार ढलना जरूरी है।”

PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड के चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर विनय पहाड़िया ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत प्रमुख देशों में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, जो इसके लचीलेपन को दिखाता है। पहाड़िया मध्यम से लंबी अवधि के इनवेस्टमेंट हॉरिज़न वाली हाई-ग्रोथ और अच्छी-क्वालिटी वाली कंपनियों में निवेश को लेकर बुलिश हैं।

क्या हो MF इनवेस्टर्स की रणनीति

बाजार में उतार-चढ़ाव जारी है, इसलिए फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स MF इनवेस्टर्स को सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। जैसे-जैसे वैल्यूएशन में और वृद्धि होगी, अचानक गिरावट की संभावना अधिक हो सकती है। साथ ही यह समझना जरूरी है कि इक्विटी मार्केट में उतार-चढ़ाव होता रहता है। इसके अलावा, म्यूचुअल फंड (MF) की रणनीतियां सीधे शेयरों में निवेश करने से काफी अलग होती हैं। स्टॉक ट्रेडिंग के उलट म्यूचुअल फंड निवेशक आमतौर पर जल्दी मुनाफा बुक करने, नए निवेश रोकने या बाजार के शॉर्ट टर्म उतार-चढ़ाव के आधार पर समय-समय पर बड़े फैसले लेने पर ध्यान नहीं देते। वे लॉन्ग टर्म एप्रोच अपनाते हैं।

SIP निवेशक क्या करें?

वेल-डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो वाले लॉन्ग टर्म निवेशक जो सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के माध्यम से लगातार निवेश करते हैं, उन्हें अपने फाइनेंशियल गोल्स को प्राप्त करने के लिए निवेश में बने रहना चाहिए। हालांकि, मजबूत अमेरिकी डॉलर की संभावना ग्लोबल मार्केट सेंटीमेंट पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है और करेक्शन का कारण बन सकती है, लेकिन जिन मार्केट्स की घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत होती है, वे आमतौर पर तेजी से उबर जाते हैं।

उदाहरण के लिए, लॉन्ग टर्म में भारतीय अर्थव्यवस्था छोटे देशों की अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक मजबूत रहने की संभावना है। इसी कारण, बाजार में गिरावट के दौरान निवेशक अपने पोर्टफोलियो में निवेश बढ़ाने पर विचार कर सकते हैं।

एक्सपर्ट्स मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनियों पर बुलिश

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के अनुसार 2024 में सेक्टर और फंड के स्टॉक एलोकेशन में अहम बदलाव देखने को मिला। हेल्थकेयर और टेलीकॉम के वेटेज में बढ़ोतरी के कारण डिफेंसिव का वेटेज 60 बेसिस प्वाइंट्स (बीपीएस) बढ़कर 30.3 फीसदी हो गया, जबकि कंज्यूमर और यूटिलिटी में नरमी आई। एक्सपर्ट्स का मानना ​​है कि बाजार कम ग्रोथ, लो-क्वालिटी सेगमेंट वाले सेक्टर्स से हटकर मजबूत फंडामेंटल और सस्टेनेबल ग्रोथ संभावनाओं वाली कंपनियों की ओर बढ़ सकता है।

डायवर्सिफाइड फ्लेक्सी-कैप फंड हो सकता है अच्छा विकल्प

सेक्टोरल फंड्स आमतौर पर चक्रों में प्रदर्शन करते हैं, इसलिए एक डायवर्सिफाइड फ्लेक्सी-कैप फंड अच्छा विकल्प हो सकता है, क्योंकि यह फंड मैनेजर्स को मार्केट कैप्स में बदलते कंडीशन के अनुसार ढलने की फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करता है। इसके अलावा, स्टॉक, बॉन्ड, रियल एस्टेट और कैश जैसे कई एसेट क्लास में निवेश डिस्ट्रीब्यूट करके एक निवेश के खराब प्रदर्शन की भरपाई दूसरे निवेश से की जा सकती है। शेयर और बांड किसी भी पोर्टफोलियो की बुनियादी संरचना होते हैं, इसलिए अन्य एसेट क्लास जैसे सोना और रियल एस्टेट आपके संपत्तियों को और अधिक डायवर्सिफाइड करने में मदद करते हैं।

एक निवेशक का बाजार में गिरावट के प्रति एप्रोच उसके फाइनेंशियल गोल, रिस्क कैपिसिटी और निवेश की समय सीमा के अनुरूप होना चाहिए। शेयरों के लॉन्ग टर्म ग्रोथ पोटेंशियल को पहचानना बहुत जरूरी है। किसी भी पोर्टफोलियो एडजस्टमेंट से पहले यह सलाह दी जाती है कि आप अपने वित्तीय सलाहकारों से परामर्श करें।

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