Ghaziabad: एक्सप्रेस-वे के पास NCR के इन 77 गांव की बदलेगी सूरत, होंगे GDA का हिस्सा – delhi meerut and eastern peripheral expressway 77 villages development in gda decision

 गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) ने गाजियाबाद और बागपत जिले के 77 गांवों को अपने दायरे में लाने का प्रस्ताव रखा है, जो अभी ग्राम पंचायतों के अंतर्गत हैं।

  • ये गांव दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (DME) और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (EPE) के पास स्थित हैं।
  • अगर प्रस्ताव पास हो जाता है, तो इन गांवों का विकास बेहतर तरीके से होगा, जिसमें सड़कें, पानी, बिजली जैसी सुविधाएं शामिल हैं।
  • यह अभी एक प्रस्ताव है, और 18 मार्च, 2025 को GDA की बैठक में इस पर चर्चा होगी।

पृष्ठभूमि

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) उत्तर प्रदेश में शहरी विकास और योजना बनाने के लिए जिम्मेदार है। ये 77 गांव, जिसमें 31 बागपत की केखरा तहसील में और बाकी गाजियाबाद के लोनी और मोदीनगर में हैं, वर्तमान में ग्राम पंचायतों के अधीन हैं। इन क्षेत्रों में बेतरतीब निर्माण और अनियोजित विकास की समस्या है, जिसे नियंत्रित करने के लिए GDA इन गांवों को अपने दायरे में लाना चाहता है।

अपेक्षित लाभ

अगर ये प्रस्ताव मंजूर हो जाता है, तो इन गांवों को बेहतर बुनियादी सुविधाएं मिलेंगी, जैसे सड़कें, पानी की आपूर्ति, बिजली, और अन्य आवश्यक सेवाएं। इससे अनधिकृत निर्माण पर भी रोक लगेगी और टिकाऊ विकास सुनिश्चित होगा।

अप्रत्याशित जानकारी

इस प्रस्ताव पर पहले 2011-12 में और फिर 2018 में चर्चा हुई थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। यह बार-बार उठने वाला मुद्दा है, जो दिखाता है कि क्षेत्र के विकास के लिए लंबे समय से प्रयास किए जा रहे हैं।


विस्तृत रिपोर्ट

गाजियाबाद और बागपत जिले के 77 गांवों के लिए एक महत्वपूर्ण विकास की खबर सामने आई है, जहां गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) इन गांवों को अपने दायरे में लाने की योजना बना रहा है। ये गांव दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (DME) और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (EPE) के पास स्थित हैं, जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में तेजी से विकासशील क्षेत्र हैं। वर्तमान में, ये गांव ग्राम पंचायतों के अधीन हैं, लेकिन GDA इनका विकास सुनियोजित तरीके से करने के लिए इनको अपने अधिकार क्षेत्र में लाने का प्रस्ताव लेकर आया है।

प्रस्ताव का विवरण

हाल ही में, NCR प्लानिंग बोर्ड के अधिकारियों ने इस प्रस्ताव की रिपोर्ट तैयार की है और इसे GDA के वाइस चेयरमैन को सौंप दिया है। इस प्रस्ताव के तहत, DME और EPE से 500 मीटर के दायरे में आने वाले 77 गांवों को GDA के दायरे में लाया जाएगा। इनमें से 31 गांव बागपत की केखरा तहसील में हैं, जबकि बाकी गाजियाबाद के लोनी और मोदीनगर क्षेत्रों में आते हैं।

प्रस्ताव का इतिहास

यह प्रस्ताव नया नहीं है। NCR प्लानिंग बोर्ड ने 2011-12 में पहली बार इन गांवों को विकास प्राधिकरण में शामिल करने का सुझाव दिया था। 2018 में भी GDA को इस प्रस्ताव को पास करने के लिए कहा गया था, लेकिन उस समय कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब, एक बार फिर से इस पर ध्यान दिया जा रहा है, और 18 मार्च, 2025 को GDA की बोर्ड बैठक में इस पर चर्चा और मंजूरी की उम्मीद है।

क्यों जरूरी है यह कदम?

इन गांवों में तेजी से अनियोजित निर्माण हो रहा है, खासकर एक्सप्रेसवे के पास। बिना सरकारी मंजूरी के इमारतें और मकान बनाए जा रहे हैं, जिससे भविष्य में समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। GDA का मानना है कि इन गांवों को अपने दायरे में लाकर बेहतर प्लानिंग की जा सकती है, जिससे बेतरतीब विकास पर नियंत्रण पाया जा सके।

अपेक्षित लाभ

अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता है, तो इन गांवों के निवासियों को कई सुविधाएं मिलेंगी, जैसे:

  • बेहतर सड़कें और कनेक्टिविटी
  • नियमित पानी और बिजली की आपूर्ति
  • शहरी स्तर की अन्य बुनियादी सुविधाएं
  • अनधिकृत निर्माण पर रोक, जिससे टिकाऊ विकास सुनिश्चित होगा

इसके अलावा, इन गांवों का शहरी क्षेत्रों से बेहतर एकीकरण होगा, जिससे निवासियों को आर्थिक और सामाजिक लाभ भी मिल सकते हैं।

विवाद और चुनौतियां

हालांकि, इस प्रस्ताव को लागू करने में कुछ चुनौतियां भी हो सकती हैं। ग्राम पंचायतों के अधिकार क्षेत्र से गांवों को हटाने से स्थानीय प्रशासन और निवासियों के बीच विवाद हो सकता है। इसके अलावा, ग्राम पंचायतों के पास जो सीमित संसाधन हैं, उन्हें GDA के तहत कैसे एकीकृत किया जाएगा, यह भी एक मुद्दा हो सकता है।

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