श्रीलंका में चल रहे आर्थिक और राजनीतिक संकट में रोज नए-नए मोड़ आ रहे हैं. देश में लोगों के भारी विरोध को देखते हुए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने सोमवार सुबह कैबिनेट के साथ बैठक की. इस बैठक में फैसला किया गया कि देश में एक सर्वदलीय सरकार बनेगी. ऐसे में अब पूरे मंत्रिमंडल को इस्तीफा देना है
श्रीलंका में पिछले तीन दिन से भारी प्रदर्शन चल रहा है. लोगों ने राष्ट्रपति भवन पर डेरा जमा लिया है, जबकि पीएम के निजी घर में आग लगा दी थी. देश पहले ही दिवालिया हो चुका है, लेकिन अब लोगों के सामने खाने-पीने का संकट भी आने लगा है. यही वजह है कि अब लगभग पूरा देश एकजुट होकर विरोध में उतर आय़ा है.
2 महीने पहले महिंद्रा राजपक्षे को देना पड़ा था इस्तीफा-
बता दें कि 2 महीने पहले लोगों के विरोध के आगे महिंद्रा राजपक्षे को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. लोगों की मांग थी कि राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे भी इस्तीफा दें, लेकिन तब वह अपनी कुर्सी बचाने में सफल रहे. महिंद्रा राजपक्षे की जगह रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री बनाया गया, लेकिन देश में संकट और गहराता गया
पिछले कुछ दिनों से तेल संकट की वजह से जब सबकुछ ठप होने लगा तो देश का लगभग हर नागरिक सरकार के विरोध में उतर आया और सबसे पहले लोगों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया. लोगों की मांग थी कि राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे इस्तीफा दें. लोगों के दबाव के आगे वह इस्तीफा देने को तैयार हो गए हैं
नए पीएम पर भी बन रहा था दबाव-
दूसरी ओर नए प्रधानमंत्री के आगे भी लगातार दबाव बन रहा है. दरअसल, देश में विदेशी मुद्रा लगभग खत्म है. ऐसे में विदेशों से आयात ठप हो चुका है. श्रीलंका में तेल भी खत्म हो चुका है, जिसकी वजह से स्कूल कॉलेज भी बंद करने पड़े हैं. इसके अलावा रोजमर्रा से जुड़ी और भी जरूरी चीजों का संकट लोगों के सामने है. देश को संकट से उबारने के लिए अब सर्वदलीय सरकार पर सहमति बनी है.