जर्मनी की लक्जरी कार कंपनी ऑडी 2033 तक केवल इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर ध्यान केंद्रित करेगी और आंतरिक दहन इंजन (आईसीई) पर चलने वाली कारों का प्रोडेक्शन बंद करेगी
ऑडी इंडिया के प्रमुख बलबीर सिंह ढिल्लन ने कहा कि कंपनी आईसीई से चलने वाले मौजूदा मॉडलों का प्रोडेक्शन बंद कर देगी और 2033 से केवल ईवी को बेचने के लिए बदलाव शुरू करेगी ढिल्लन ने स्पष्ट किया कि कंपनी पेट्रोल इंजन से लैस सभी मौजूदा मॉडलों को बनाएगी। इनकी बिक्री 2032 तक की जाएगी और फिर इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बदलाव होगा
गाड़ियों पर ऊंचे टैक्स पर कंपनी का बयान-
इससे पहले हाल ही में कंपनी की तरफ से इंडियन मार्केट में हो रही परेशानियों को लेकर भी बयान समाने आया था ऑडी के एक सीनियर ऑफिसर ने अपने बयान में कहा था कि भारत के लग्जरी कार मार्केट में वृद्धि की काफी संभावनाएं हैं
लेकिन इन गाड़ियों पर ऊंचे टैक्स और अनफेवरेबल रेगुलेटरी एनवायरमेंट के कारण यह क्षेत्र ‘दबा’ हुआ है। पैसेंजर व्हीकल की सालाना बिक्री में लग्जरी कारों का हिस्सा दो प्रतिशत से भी कम है। यह सेगमेंट पिछले 10 साल से कमोबेश इसी स्तर पर बना हुआ है
हमें भारत में काफी उम्मीदें-
ऑडी के रिजनल डायरेक्टर (विदेश) अलेक्जेंडर वॉन वाल्डनबर्ग-ड्रेसेल ने कहा था, हमारा इंडियन मार्केट में विश्वास है हालांकि, जो अपेक्षाएं हमें यहां से थीं वे पूरी नहीं हो सकीं। यह ब्रिक्स देशों का हिस्सा है और इसे दूसरा चीन माना जाता था। हमें अभी भी इस बाजार से काफी उम्मीदें हैं
उन्होंने कहा था, भारतीय बाजार से हमने 20 साल पहले जो उम्मीदें लगाई थीं उसमें इससे कुछ ज्यादा समय लगेगा उन्होंने कहा कि भारत में करोड़पतियों की संख्या काफी ज्यादा है। उस अनुपात में लग्जरी वाहन का हिस्सा काफी कम है
भारत कई एशियाई देशों से पीछे-
वाल्डनबर्ग-ड्रेसेल ने कहा था कि लग्जरी कारों की बिक्री में वृद्धि के मामले में भारत कई एशियाई देशों से भी पीछे है उन्होंने कहा, ”मैं पांच साल से भारतीय बाजार के साथ काम कर रहा हूं। मैंने कई अनुमान देखे, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग निकली
लग्जरी गाड़ियों पर सबसे ज्यादा 28% जीएसटी-
यह नीतियों में लगातार बदलाव और लग्जरी कारों पर लगने वाले ऊंचे टेक्स इस सेगमेंट के विकास में बाधक है। लग्जरी गाड़ियों पर मौजूदा समय में जीएसटी की सबसे ऊंची 28 प्रतिशत की दर लगती है। इसके अलावा सेडान पर 20 प्रतिशत और एसयूवी पर 22 प्रतिशत के अतिरिक्त सैस लगता है। इस तरह इन वाहनों पर कुल कर करीब 50 प्रतिशत बैठता है।