एकनाथ शिंदे गुट का दावा है कि उनके साथ करीब 50 विधायक हैं। इनमें से शिवसेना करीब 40 विधायक हैं। अघाड़ी सरकार ने इनमें से 16 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर ली है।Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे की नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार इन दिनों सियासी संकटों का सामना कर रही है। एकनाथ शिंदे की अगुवाई में बागी विधायकों का बड़ा जमावड़ा गुवाहाटी के एक फाइव स्टार होटल में लगा हुआ है। इनमें से करीब 16 विधायकों को विधानसभा के डिप्टी स्पीकर ने नोटिस जारी किया है, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस मामले पर आज सुनवाई होनी है। एकनाथ शिंदे गुट का दावा है कि उनके साथ 50 से अधिक विधायक हैं। इनमें से शिवसेना करीब 40 विधायक हैं। अघाड़ी सरकार ने इनमें से 16 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर ली है। डिप्टी स्पीकर ने इन्हें नोटिस भेजा है। जवाब दाखिल करने की अंतिम तारीख आज ही है। शिवसेना और शिंदे गुट की नजर आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर होगी।
काफी ताकतवर हैं बागी शिवसैनिक, ठाकरे के लिए आसान नहीं फिर से खड़ा होना
महाराष्ट्र के इन तमाम सियासी घटनाक्रम में बीजेपी की भूमिका पर भी सवाल उठना लाजमी है। इसका प्रमुख कारण बागी विधायकों का बीजेपी शासित राज्य गुवाहाटी में डेरा जमाना है। साथ ही कल देर रात महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आवास पर बीजेपी के विधायक और विधान परिषद के सदस्यों का पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। बैठकों का दौर चला।महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट के बीच सरकार बनाने की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के पास प्लान-बी है, जिसके सहारे मध्य-प्रदेश की कमलनाथ की सरकार गिर गई थी।
सभी बागी विधायकों का इस्तीफा दिला सकती है भाजपा
मध्य प्रदेश में जिस तरह कांग्रेस के विधायकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में पार्टी और विधायकी से इस्तीफा देकर कमलनाथ की सरकार को गिरा दिया था, ठीक उसी तरह महाराष्ट्र में शिवसेना के बागी विधायक भी कर सकते हैं। उनके इस कदम से महा विकास अघाड़ी की सरकार अल्पमत में आ जाएगी और विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाएगी। बीजेपी के पास सरकार बनाने का दावा पेश करने का मौका होगा। महाराष्ट्र में उपचुनाव की नौबत आएगी और बीजेपी की कोशिश होगी कि इनमें से अधिकांश चुनाव जीतकर सदन में आएं।
शिंदे गुट का शिवसेना पर दावा
आपको बता दें कि एकनाथ शिंदे की अगुवाई में शिवसेना के बागी विधायक लगातार पार्टी पर दावा ठोक रहे हैं। उनका कहना है कि वे बालासाहेब ठाकरे के सिद्धांतों पर चलने वाले शिवसैनिक हैं। शिवसेना पर अधिकार पाने की राह बागियों के लिए आसान नहीं है। ऐसे हालात में ये विधायक विधानसभा में एक अलग गुट की दावेदारी पेश कर सकते हैं। इसके बाद भाजपा के साथ समझौता कर सरकार बना सकते हैं। अगर इन्हें इसमें भी असफलता मिलती है तो इनके पास इस्तीफा देने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा।
काफी ताकतवर हैं शिवसेना के बागी विधायक
एकनाथ शिंदे के साथ विधायकों को देखने से पता चलता है कि शिवसेना के भीतर बागी नेता का जुड़ाव कितना मजबूत है और उद्धव ठाकरे को अपनी पार्टी के पुनर्निर्माण के लिए कितना प्रयास करना होगा। शिवसेना के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पार्टी के लिए मुख्य चिंता यह है कि अधिकांश विद्रोही न केवल अपने निर्वाचन क्षेत्रों में एक ताकत हैं, बल्कि जिलों में पार्टी को मजबूत करने में एक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
ठाकरे के लिए आसान नहीं है लड़ाई
उन्होंने कहा, “इनमें से कई विधायक कम से कम तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। स्थानीय कार्यकर्ता ठाकरे के साथ संबंधों में खटास आने पर भी उनका साथ नहीं छोड़ेंगे। इनमें से कई बागियों ने अपने क्षेत्रों में शिवसेना को मजबूत करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। उनके योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी का आधार फिर से बनाना मुख्यमंत्री के लिए कठिन काम होगा।”