उत्तराखंड के पहाड़ों में, खासकर चार धामों के रूट पर लैंडस्लाइड ज़ोन जानलेवा होने के साथ ही यात्रियों के लिए बड़ा सिरदर्द बन गए हैं. चमोली, उत्तरकाशी समेत पहाड़ी ज़िलों में रुक रुककर बारिश लगातार चल रही है और ऐसे में यात्री कई जगहों पर फंसे हुए हैं
देहरादून. उत्तराखंड में मॉनसून की पहली बारिश से ही हाल ये है कि पहाड़ी इलाकों में जगह जगह पहाड़ियों से बोल्डर, मलबा और पत्थर गिर रहे हैं, तो भूस्खलन के चलते हाईवे और कई रास्ते ठप हो रहे हैं. बद्रीनाथ नेशनल हाईवे पर समस्या सबसे ज़्यादा बनी हुई है और 30 जून व 1 जुलाई को दिन भर सिरोहबगड़ में हाईवे ठप रहने के साथ ही यह जोशीमठ में लामबगड़ नाले के पास बार बार बंद हो रहा है
यमुनोत्री हाईवे समेत बागेश्वर और चीन बॉर्डर के कई रास्ते या तो अवरुद्ध हैं या प्रभावित. और अब यह सियासी मुद्दा भी बनता दिख रहा है. पहले बद्रीनाथ नेशनल हाईवे की बात करें तो लामबगड़ नाले के पास तीर्थ यात्रियों के लिए मुश्किलें लगातार खड़ी हो रही हैं. ज़रा बारिश होते ही पहाड़ी से पत्थर और और बोल्डर गिरने का सिलसिला जारी है, तो बीआरओ को रात में भी रास्ता खोलने के लिए जुटना पड़ रहा है
इस खेल में बारिश जीत रही है और हर बार रास्ता बाधित हो रहा है. बीआरओ के कमांडिंग अफसर कर्नल कपिल ने बताया कि शुक्रवार रात हुई बारिश से बंद हुए राजमार्ग को खोलने के लिए मशीनें और अमला भेजा गया है. अधिकारी दिन-रात मौके पर तैनात हैं
इधर, चमोली पुलिस प्रशासन ने लैंडस्लाइड के मद्देनज़र तीर्थ यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोका है. पांडुकेश्वर गोविंदघाट में रोके जा रहे यात्रियों को रास्ते खुलने का इंतज़ार है. तो इधर, गुरुवार सुबह भारी बारिश के बाद सिरोहबगड़ में पहाड़ी कई घंटों तक दरकती रहने से करीब 40 घंटों तक बंद रहने के बाद सिरोहबगड़ में ऋषिकेश-बद्रीनाथ एनएच शुक्रवार की रात खुला लेकिन शनिवार सुबह फिर ठप हो गया
रुद्रप्रयाग ज़िले में, मलबा आने से घनसाली मयाली मोटरमार्ग समेत खास तौर से चार धाम यात्रा से जुड़े 7 रास्ते अवरुद्ध हैं. फिर भी प्रशासन का दावा है कि केदारनाथ यात्रा में कोई बाधा नहीं है. यहां, यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग चट्टान दरकने के कारण किसाला के पास बंद हो गया है. बारिश के कारण हाईवे पर शनिवार सुबह करीब 7 बजे से यातायात ठप है. तीर्थयात्री सड़क के दोनों ओर फंसे हैं. जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि एनएच बड़कोट की मशीनरी मौके पर जुटी है
भारी बारिश के बाद बागेश्वर ज़िले में बंद मोटर मार्गों को खोलने का काम चल तो रहा है, पर कम से कम 5 सड़कें अब भी बंद हैं. ग्रामीण क्षेत्रों को कनेक्ट करने वाले रास्ते बंद होने से बड़ी आबादी कट गई है. 24 घंटे पहले तक करीब दो दर्जन रास्ते बंद थे. इधर, नदियों में जलस्तर बढ़ने से पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त हुईं तो कई क्षेत्रों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा. कई जगह नलों में गंदा पानी आने की शिकायतें लोग कर रहे हैं
हाल की बारिश से राजभवन मार्ग में सड़क धंसने लगी है, तो कॉलेज के पास सड़क पहली ही बारिश में टूट गई. भोटिया मार्केट पर पत्थर गिरने का खतरा है, तो डीएसबी छात्रावास में खतरे की आशंका के चलते ठंडी रोड बंद करने के बोर्ड लगा दिए गए हैं.
भवाली रोड और हल्द्वानी रोड भी खतरे की ज़द में हैं. हल्की बारिश से ही सड़क पर मलबा आ रहा है क्योंकि पिछली आपदा के बाद दुरुस्तीकरण के काम ही नहीं हुए. राज्य के इन रास्तों पर राजनीति कैसे हो रही है
पहली ही बारिश से सरकार के दावों की पोल खुलने की बात कहते हुए नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या ने काशीपुर में कहा, बीते साल मानसून से हुए नुकसान की भरपाई सरकार कर नहीं पाई और आने वाले समय के लिए कोई ठोस प्लान भी इस सरकार के पास दिख नहीं रहा. इत्तफाक से शुक्रवार को सीएम पुष्कर धामी भी काशीपुर में रहे और उन्होंने एक कार्यक्रम में मॉनसून की तैयारियों को लेकर कहा कि आपदा से निपटने के लिए उच्च स्तर पर पूरी नज़र बनी हुई है.