वर्तमान सप्ताह का शुभारंभ श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि और श्रावण के प्रथम सोमवार के साथ हो रहा है वर्तमान कृष्ण पक्ष इसी महीने 28 जुलाई, गुरुवार को श्रावण अमावस्या के साथ समाप्त हो जाएगा और उसके अगले ही दिन यानी शुक्रवार 29 जुलाई से श्रावण का शुक्ल पक्ष आरंभ हो जाएगा
प्राचीन भारतीय चिंतन परम्परा के अनुसार सावन का पूरा महीना ही सत्यम्, शिवम्, सुंदरम् की भावना से परिपूर्ण होता है इसीलिए इस माह को अत्यंत शुभदायी, विशेष पूजन और अर्चन के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है
सावन का महीना देवाधिदेव भगवान शंकर और मां पार्वती को समर्पित है। ऐसा विश्वास है कि इस पूरे महीने में जो भी उपासक भगवान् महादेव का पूजन, अर्चन, अभिवंदन और स्तवन पूरे मनोयोग और विधिविधान के साथ करता है आशुतोष उस पर प्रसन्न होते हैं और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं
इसी सावन के महीने में भगवान महादेव के भक्त कांवड़ियों के रूप में हरिद्वार से गंगा जल कांवड़ में भरकर सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करके करके अपने शहरों या गांवों के शिवालयों में चढ़ाते हैं। इस सप्ताह सावन के पहले सोमवार का व्रत, मंगला गौरी व्रत, कालाष्टमी, कामिका एकादशी व्रत आदि का आयोजन किया जाएगा
वैसे तो हर सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है, लेकिन सावन के सभी सोमवार विशेष रूप से भोलेनाथ की विशेष पूजा के लिए महत्वपूर्ण माने गए हैं। इस दिन प्रातःकाल स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान महादेव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प करना चाहिए और उसके बाद मंदिर में जाकर शिवलिंग का गंगा जल से अभिषेक करके पूरे विधि विधान से शिवजी का पूजन और अर्चन करना चाहिए। पूरे दिन अन्न का परित्याग करते हुए केवल फलाहार करना चाहिए इस दिन व्रतधारी को यथाशक्ति दान भी अवश्य देना चाहिए
सावन का हर सोमवार जैसे भगवान महादेव को समर्पित होता है वैसे ही हर मंगलवार को मां गौरी की विशेष पूजा के लिए विहित किया गया है। मंगलवार को होने के कारण ही इसे मंगला गौरी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं के लिए अभिहित है
इस दिन गौरी के उपासक को उनकी विधि विधान से पूजा करनी चाहिए और पूरा दिन व्रत रखते हुए मां गौरी की प्रतिमा को भोग लगाकर कन्याओं का पूजन कर यथाशक्ति दान भी अवश्य देना चाहिए। यदि संभव हो तो इस दिन किसी योग्य पंडित से गौरी कथा का श्रवण भी करना चाहिए
प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कालभैरव के उपासक कालाष्टमी का व्रत रखते हैं। वैसे प्रमुख कालाष्टमी, जो मार्गशीर्ष मास में आती है, को कालभैरव जयंती के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने वाले से भगवान् महादेव प्रसन्न हो जाते हैं और उसे अमोघ फल की प्राप्ति होती है
और यह महीना तो वैसे भी सावन का है और महादेव को प्रिय है इसलिए भी कालाष्टमी का महत्त्व बढ़ जाता है। इस दिन काल भैरव की पूजा और अर्चना विधि विधान के साथ करनी चाहिए। भगवान् भैरवनाथ की सवारी श्वान अर्थात् कुत्ता है इसलिए इस दिन कुत्ते को दूध पिलाने से भगवान् प्रसन्न होते हैं और भक्त को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस दिन नदियों में स्नान करना भी पुण्यदायी माना गया है
हिंदू परंपरा में एकादशी को पुण्य कार्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। एक साल में कुल 24 एकादशियां होती हैं लेकिन मलमास या अधिक मास होने की स्थिति में इनकी संख्या 26 हो जाती है। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है
पुरातन ग्रंथों में वर्णन आता है कि एक बार इस एकादशी के महत्व के बारे में पांडुपुत्र धर्मराज युधिष्ठिर को बताते हुए भगवान कृष्ण ने कहा था कि इस एकादशी का व्रत रखने वाले को वाजपेय यज्ञ करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है इस दिन शंख, चक्र और गदाधारी भगवान विष्णु का पूजन और अर्चन किया जाता है
शास्त्रों में कहा गया है कि जो मनुष्य श्रावण मास में भगवान नारायण का पूजन करते हैं, उनसे देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं। अत: पापों से डरने वाले मनुष्यों को कामिका एकादशी का व्रत और विष्णु भगवान का पूजन अवश्य करना चाहिए। इससे बढ़कर पापों के नाशों का कोई उपाय नहीं है
इसका व्रत रखने वाले को कभी भी कुयोनि प्राप्त नहीं होती। ऐसी मान्यता है कि जो इस एकादशी की रात्रि को भगवान के मंदिर में दीपक जलाते हैं उनके पितर स्वर्गलोक में अमृतपान करते हैं तथा जो घी या तेल का दीपक जलाते हैं, वे सौ करोड़ दीपकों से प्रकाशित होकर सूर्य लोक को जाते हैं।