Tuesday, December 3, 2024
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    अखिलेश य़ादव के नजदीक आए ये दो दल, सपा को बडा फायदा

    ओपी राजभर की सुभासपा के समाजवादी पार्टी गठबंधन से अलग होने के फायदे और नुकसान का आंकलन शुरू हो चुका है। इस बीच पहले इस गठजोड़ में रहे दो क्षेत्रीय दल सपा से नजदीकी बनाने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं

    उत्तर प्रदेश में सपा के साथ मिलकर पिछला राज्य विधानसभा चुनाव लड़ चुके जनवादी पार्टी-सोशलिस्ट और महान दल ने चुनाव में सफलता नहीं मिलने के बाद गठबंधन से नाता तोड़ लिया था। अब सुभासपा के सपा से अलग होने के बाद, अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं में कुछ असर रखने वाली जनवादी पार्टी-सोशलिस्ट सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रशंसा कर रही है।

    महान दल ने भी अखिलेश की तारीफ करते हुए सपा गठबंधन में दोबारा शामिल होने इच्छा जाहिर की है, हालांकि इसके लिए शर्त यह है कि सपा से स्वामी प्रसाद मौर्य को बाहर निकाला जाए। जनवादी पार्टी सोशलिस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय चौहान ने पीटीआई भाषा से बातचीत में कहा कि हम अखिलेश के साथ हैं और रहेंगे

    इस सवाल पर कि क्या हाल ही में उनकी सपा अध्यक्ष के साथ बैठक हुई है? चौहान ने कहा कि हम बैठक करते रहते हैं और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी को मजबूत करने के कार्यक्रमों पर चर्चा करते हैं। हम सितंबर में लखनऊ में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित करेंगे

    चौहान ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की आलोचना करते हुए कहा कि राजभर की कोई विचारधारा या सिद्धांत नहीं है। वह एक परजीवी प्राणी हैं और व्यक्तिगत हित के लिए राजनीति करते हैं

    उन्होंने कहा कि राजभर सोचते थे कि अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बनेंगे इसलिए वह सपा के साथ आ गए। ऐसा नहीं हुआ इसलिए अब वह भाजपा में अपना हित देख रहे हैं। अगर सपा ने उनके बेटे को विधान परिषद सदस्य बना दिया होता तो वह कुछ और समय तक गठबंधन में बने रहते

    नोनिया चौहान नामक अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले चौहान ने वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव सपा के टिकट पर चंदौली सीट से लड़ा था और बहुत कम अंतर से पराजित हुए थे। उन्हें करीब पांच लाख वोट मिले थे। प्रदेश के अन्य पिछड़ा वर्ग की कुल आबादी में नोनिया और उससे जुड़ी जातियों के करीब 2.3% मतदाता हैं

    इस बीच, पूर्व में सपा गठबंधन छोड़ गए महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने पीटीआई-भाषा से कहा कि उन्हें अखिलेश यादव से कोई शिकायत नहीं है और ना ही वह उनकी राजनीति से परेशान हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में एक तरफ भाजपा है और दूसरी तरफ अखिलेश यादव। कांग्रेस का कोई मतलब नहीं रह गया है, वहीं बसपा अध्यक्ष मायावती भाजपा की बी टीम की तरह काम कर रही हैं

    सपा गठबंधन में वापसी की संभावना के बारे में पूछे जाने पर मौर्य ने कहा जब तक स्वामी प्रसाद मौर्य अखिलेश यादव के साथ हैं, तब तक यह संभव नहीं है। मैं कड़ी मेहनत करूंगा और स्वामी प्रसाद मौर्य मलाई खाएंगे। अगर अखिलेश मुझसे स्नेह रखते हैं तो उन्हें स्वामी प्रसाद मौर्य को पार्टी से हटा देना चाहिए। उसके बाद ही मैं लौटूंगा

    मौर्य बिरादरी में अच्छी पकड़ रखने वाले नेता स्वामी प्रसाद मौर्य प्रदेश की पिछली भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री थे लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने भाजपा का साथ छोड़कर सपा का दामन थाम लिया था। हालांकि वह कुशीनगर की फाजिलनगर विधानसभा सीट से पराजित हो गए थे

    केशव देव मौर्य ने आरोप लगाया कि भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य, शिवपाल यादव और ओमप्रकाश राजभर की सपा नीत गठबंधन में घुसपैठ कराई जिसकी वजह से गठबंधन को चुनाव में नुकसान हुआ

    भविष्य की रणनीति के बारे में मौर्य ने कहा कि हम कोई बड़ी पार्टी नहीं हैं। हम अपने बलबूते एक भी विधायक बनवाने की स्थिति में नहीं है लेकिन मैं उसी पार्टी के साथ जाऊंगा जो मुझे एक नेता के तौर पर समझेगी

    अखिलेश यादव को राजनीतिक रूप से अपरिपक्व बताने वाले उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के बारे में मौर्य ने कहा कि शिवपाल यादव अपने आप को साबित नहीं कर पाए। उन्हें भाजपा की सरकार ने बंगला दिया और वह उसी पार्टी के इशारों पर काम कर रहे हैं

    अखिलेश सपा और यादव बिरादरी के सबसे बड़े नेता हैं और अगर कोई एक बूंद (शिवपाल) उनसे अलग होती है तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। महान दल का गठन वर्ष 2008 में किया गया था और रूहेलखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में उसका असर माना जाता है।

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